अखिल क्षत्रिय समाज
 
 
 à¤®à¤¹à¤¾à¤®à¤‚त्री की कलम से
 
       क्षत्रिय                                                
शौर्य पराक्रम जिनका भूषण /                              
स्वाभिमान जिनकी छाया / /                                                              
उॅचे सिद्धांतो  के  लिए ही /
बलिबेदी   जिनको  भाया //
 
निज तन  को खतरे में डाला /
न्योछावर प्राणो को किया //
धर्म   और  दुर्बल की रक्षा /
प्राणो से भी अधिक किया //
 
पतझड़ में पेड़ो सा जिसने /
दुःख में धीरज तन लिया //
क्षत्रिय है वही  की जिसने /
हार नहीं स्वाबीकार किया //
 
सदा   हिमालय  की  रक्षा  में /
हर इच्छाओं का त्याग किया //
मातृ भूमि के लिए ही जिसने /
सीमा   पर   सिर  चढ़ा दिया //
 
सदा   चढ़े   हम  बलि   वेदी /
बलि कुटिनीति अब नहीं चढ़ेंगे//
स्वाभिमान   के     लिए  लड़े /
पर मोहरा बनना नहीं सहेगे //
 
युगो-युगो   से जो  क्षत्रिय था /
वही   क्षत्रिय   आज   भी  है //
जो रक्त दोडता  था पुरखों  में /
वह रक्त सुसिंचित आज भी है //
 
शिक्षा और सौर्य के बल अब /
ओछी   हरकत  नहीं सहेंगे//
सीमा पर यदि सिर देंगे हम /
दिल्ली पर भी  राज करेंगे //
       "जय हिन्द"

 
डॉ. डी. यस. सिंह  "बैस"
महामंत्री-अखिल क्षत्रिय समाज - अंकलेश्वर
भरुच ( गुजरात )